अहमदाबाद । गुजरात में 30 साल के बाद त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है।इस मुकाबले में आम आदमी पार्टी ने शहरी क्षेत्र के मतदाताओं में खासी पैठ बनाई है। 1990 के बाद यह पहला मौका है। जब भाजपा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ चुनाव मैदान में हैं। 1995 के बाद से गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का एकछत्र राज्य रहा है।30 साल बाद भारतीय जनता पार्टी को गुजरात में कड़ी चुनौती मिल रही हैं।
इस बार के विधानसभा चुनाव में नाराज मतदाताओं की संख्या बड़ी तेजी के साथ बढ़ी है। लगातार 27 साल का शासन होने के बाद यहां के मतदाताओं का भाजपा से मोहभंग हुआ है। गुजरात में सत्ता विरोधी लहर स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है। कई बार यहां त्रिशंकु बहुमत मिलने की बात भी कही जाने लगी है।
-मंत्री और विधायकों की टिकटें कटेगीं
भारतीय जनता पार्टी में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में टिकट वितरण के लिए लगातार बैठकें हो रही हैं।सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान के 5 एवं 7 पूर्व मंत्रियों की टिकट कटना तय माना जा रहा है। 1 दर्जन से अधिक विधायकों के टिकट कटने की बात भी सामने आई है।
-भाजपा में भारी अंतरकलह 
2017 के चुनाव में ओबीसी आंदोलन तथा दलित अधिकार आंदोलन चरम पर था। भाजपा को कड़े मुकाबले में 99 सीटें प्राप्त हुई थी। जो भाजपा का सबसे खराब प्रदर्शन था।
2017 के चुनाव जीतने के बाद विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद पटेल समुदाय को खुश करने के लिए भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया है। इसके बाद भी सत्ता विरोधी लहर कम नहीं हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 बार गुजरात की यात्रा हाल ही में कर चुके हैं। गृह मंत्री अमित शाह भी गुजरात में डेरा जमाए हुए हैं। 2022 का यह विधानसभा चुनाव अभी तक का सबसे रोचक चुनाव बनने जा रहा है।