हमारे हिंदू धर्म में आमलकी एकादशी का व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है. इस व्रत को रखने से सौभाग्य समृद्धि एवं खुशियों में वृद्धि होती है. हमारे धर्म ग्रंथो के अनुसार जो व्यक्ति इस व्रत को करते हैं. उनके सभी पाप धुल जाते हैं. इसके साथ ही भगवान श्री नारायण का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त होता है. ज्योतिषाचार्य पं पंकज पाठक के अनुसार हमारे हिन्दू सनातन धर्म में आमलकी एकादशी का विशेष महत्व है. यह व्रत शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाया जाता है.

इस दिन भगवान नारायण के साथ धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है. मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री हरि नारायण की पूजा भाव के साथ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही घर में बरकत का वास होता है. तो आईए जानते हैं आमलकी एकादशी का व्रत किस प्रकार करें, व्रत करने का शुभ मुहूर्त और जाने व्रत की सही विधि.

आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि
इस दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान कीजिये. इसके बाद आप भगवान नारायण के समक्ष व्रत का संकल्प लीजिए. इसके बाद आप पूजा घर को साफ कीजिये. फिर एक वेदी पर भगवान नारायण एवं मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. भगवान नारायण का पंचामृत से स्नान कीजिए. इसे बाद उन्हें पीले फूलों की माला अर्पित करें. इसे बाद हल्दी या फिर गोपी चंदन का तिलक लगाए. इसके बाद भगवान को पंजीरी एवं पंचामृत का भोग लगा दीजिए. उसके बाद भगवान नारायण का ध्यान करें. पूजा में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें. इसके बाद  अंत में आरती कीजिये और पूजा में हुई गलतियों के लिए आप भगवान से क्षमा मांगे. इसके बाद आप गरीबों व जरूरतमंदों को भोजन कराएं. अगले दिन अपना व्रत सुबह पूजा-पाठ के बाद खोलें.

पूजन के समय इस मंत्र का जप करें
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

शुभ मुहूर्त
आमलकी एकादशी 20 मार्च दोपहर 12:21 मिनट पर होगी. फिर इसका समापन अगले दिन 21 मार्च को दोपहर 02:22 मिनट पर होगा. जो व्यक्ति इस दिन का उपवास रख रहे हैं, वे 21 मार्च को दोपहर 01:07 मिनट से 03:32 मिनट तक के बीच अपना पारण कर सकते हैं.