तीन आंखों वाले जीव के दिमाग पर किया रिसर्च
ओटावा। जीवाश्म वैज्ञानिकों ने 50 करोड़ साल पुराने एक दिमाग के जीवाश्म पर रिसर्च किया है। वैज्ञानिकों ने तीन आंखों वाले दिमाग जीव के जीवाश्म पर रिसर्च किया, जो समुद्र में रहता था। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह दिमाग 50 करोड़ साल पुराना प्राचीन है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस दिमाग से वह कीड़े-मकौड़ों और मकड़ियों के इवोल्यूशन को समझने में बेहतर मदद मिलेगी। इस जीव का नाम स्टेनलीकारिस हिरपेक्स है। इसकी दो आंखें हैं जो सामान्य जीव की तरह हैं। इन दोनों आंखों के बीच में एक और आंख है। इसका चेहरा आगे से गोल है जो दांतों से भरा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ये जीव 50 करोड़ साल पहले रहते थे, जिन्होंने तेजी से विकास किया है। ये जीव कैंब्रियन एक्सपोलजन के दौरान धरती पर रहे, यही वह समय है जब ज्यादातर जीव जीवाश्म में बदले। ये जीव ऑर्थोपोडा की रेडियोडोंटा नाम की प्रजाति से संबंधित थे, जो आधुनिक कीड़ों और मकड़ियों के दूर के रिश्तेदार हैं। स्टेनलीकारिस की विचित्र उपस्थिति के बावजूद वैज्ञानिक इसके दिमाग को लेकर ज्यादा उत्साहित हैं। 50 करोड़ साल पुराने लगभग 250 से ज्यादा अधिक जीवाश्म के नमूने का अध्ययन किया गया जिसमें से 84 में मस्तिष्क और सेंट्रल नर्वस सिस्टम संरक्षित मिला। इसमें दिखा कि स्टेनलीकारिस हिरपेक्स का दिमाग दो खंडों से बना है, जबकि वर्तमान के कीड़ों में ये तीन खंडों में होता है। इससे आर्थोपॉड के दिमाग, उनकी नजर और सिर की संरचना पर पर एक नई रोशनी पड़ती है।
टोरंटो विश्यालय से पीएचडी कर रहे शोध के प्रमुख लेखक जोसेफ मोयसियुक का कहना है, 'हालांकि कैम्ब्रियन काल के दिमाग का जीवाश्म मिलने कोई नया नहीं है, लेकिन ये खोज बड़ी संख्या में नमूने मिलने से महत्वपूर्ण हो जाती है।'स्टेनलीकारिस के जीवाश्म को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के बर्गेस शेल में 1980-90 के दशक में मिले थे। जीवाश्मों के सॉफ्ट टिश्यू को ढूंढना दुर्लभ होता है। ज्यादातर जीवाश्म हड्डी या शरीर के कठोर अंग जैसे दांत होते हैं। वहीं, मस्तिष्क वसायुक्त पदार्थों से बना होता है, जो ज्यादा समय तक बचा नहीं रह सकता है।