राकेश झुनझुनवाला को मिला मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान..
पांच जुलाई 1960 को जन्म लेने वाले राकेश झुनझुनवाला के परिवार ने भी कभी नहीं सोचा था कि उनका यह बेटा अरबपति हो जाएगा। दरअसल, राकेश के पिता राधेश्याम झुनझुनवाला आयकर विभाग में अधिकारी थे। वह अक्सर शेयर बाजार में पैसा लगाते थे। उन्हें देखकर ही राकेश को भी शेयर बाजार में निवेश करने का चस्का लग गया।सरकार की ओर से जारी पद्म पुरस्कारों की सूची में दिवंगत राकेश झुनझुनवाला का भी नाम शामिल है। उन्हें मरणोपरांत पद्श्री सम्मान से नवाजा गया है। झुनझुनवाला का बीते 14 अगस्त को निधन हो गया था।
उन्हें शेयर बाजार के बिग बुल के नाम से जाना जाता था।पांच जुलाई 1960 को जन्म लेने वाले राकेश झुनझुनवाला के परिवार ने भी कभी नहीं सोचा था कि उनका यह बेटा अरबपति हो जाएगा। दरअसल, राकेश के पिता राधेश्याम झुनझुनवाला आयकर विभाग में अधिकारी थे। वह अक्सर शेयर बाजार में पैसा लगाते थे। उन्हें देखकर ही राकेश को भी शेयर बाजार में निवेश करने का चस्का लग गया। उन्होंने राकेश झुनझुनवाला से साफ-साफ कह दिया कि अगर शेयर बाजार में पैसा लगाना ही है तो पहले खुद कमाओ।
यहां तक कि किसी दोस्त से उधार लेने से भी मना कर दिया।अब सवाल उठता है कि जब पिता ने पैसे देने और किसी से उधार लेने से मना कर दिया तो राकेश झुनझुनवाला को शेयर बाजार में निवेश के लिए रकम कहां से मिली? ऐसे में राकेश झुनझुनवाला अपने भाई के एक क्लाइंट के पास पहुंचे और बड़ा मुनाफा दिलाने का दावा करते हुए पांच हजार रुपये का कर्ज मांगा। यही पांच हजार रुपये उन्होंने 1985 में शेयर बाजार में लगाए थे और सफलता के शिखर पर चढ़ाई शुरू कर दी।
आप यकीन नहीं मानेंगे कि 1985 में पांच हजार रुपये के निवेश के पहले ही दांव ने राकेश झुनझुनवाला को सफलता का स्वाद चखा दिया। धीरे-धीरे यह रकम दो लाख रुपये से ज्यादा हो गई, जिससे उन्होंने टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा टी के पांच हजार शेयर 43 रुपये प्रति शेयर के भाव से खरीदे। ये शेयर महज तीन महीने में ही काफी तेजी से चढ़ गए। झुनझुनवाला ने 143 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से टाटा टी के सभी शेयर बेच दिए और यह रकम महज तीन महीने में ही तीन गुनी हो गई।