नई दिल्ली । लगता है कि मणिपुर हिंसा का दूसरा फेज शुरू हुआ है। कुकी-जो आतंकियों ने इंफाल के कोत्रक में हाईटेक ड्रोन के द्वारा कई जगहों पर आरपीजी गिराए। आरपीजी यानी रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रैनेड्स। करीब सात आरपीजी का इस्तेमाल किया गया।
ये सामान्य क्ववॉडकॉप्टर ड्रोन हैं, जो कैमरे से लैस हैं। नेविगेशन सिस्टम लगा है। उन्हें आसानी से एक घंटे तक उड़ाया जा सकता है। उसमें लगे हथियार को कहीं भी गिराया जा सकता है।
इस साल 14 जून को गुवाहाटी से करीब 30 किलोमीटर पूर्व दिशा में मणिपुर के एक व्यक्ति को 10 इंटेलिजेंट फ्लाइट बैटरी के साथ टोल गेट पर पुलिस ने पकड़ा। असम पुलिस घटना से हैरान रह गई। लगा कि सिविल वॉर से जूझ रहा म्यांमार भारत के अंदर कुछ न कुछ पका रहा है। यह संदेह तब पुख्ता हुआ, जब गुवाहाटी के रूपनगर इलाके में एक व्यक्ति दोपहिया गाड़ी में ड्रोन के पार्ट्स लेकर पकड़ाया।
मणिपुर के कांगपोक्पी जिले के गामन्गई गांव के 27 वर्षीय खाईगोलेन किपगेन को सोनापुर टोल गेट पर पकड़ा गया। इसका लिंक कुकी-जो आतंकियों के साथ था। उधर जो रूपनगर में संजीब कुमार मिश्रा के पास से जो ड्रोन के पार्ट्स मिले थे, वे मैतेई समूहों के लिए जा रहे थे।
जून में असम पुलिस के आला अधिकारियों ने ये बात मानी थी कि दोनों नस्लीय समूह अपने अपने हथियारबंद दस्ते के लिए ड्रोन का जुगाड़ कर रहे हैं। इनकी सप्लाई के दो ही रास्ते हैं। पहला एनएच-27 जो नगालैंड से होकर मणिपुर जाता है। दूसरा सिलचर वाला रास्ता जो असम की बराक घाटी से जाता है।
इन दोनों घटनाओं से कुछ दिन पहले ही असम राइफल्स के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीम चंद्रन नायर ने कहा था कि मणिपुर के कामजोंग जिले में मौजूद म्यांमार के 5400 रेफ्यूजी को हवाई हमले का डर है। आशंका किसी तरह के ड्रोन हमले की है। तब तक ड्रोन का इस्तेमाल किसी नस्लीय समूह ने नहीं किया था।