रंगून। भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में चीन ने फिर अपनी मौजूदगी को मजबूत करते हुए म्यांमार को छह मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमानों की डिलीवरी की है। म्यांमार की सेना इन विमानों का इस्तेमाल विद्रोहियों पर बमबारी के लिए कर सकती है, जबकि हाल के दिनों में जातीय विद्रोहियों ने कई बड़े शहरों को अपने कब्जे में ले लिया है। इस स्थिति के चलते म्यांमार की सेना ने विद्रोहियों के खिलाफ हवाई हमले तेज कर दिए हैं, जिससे बड़ी संख्या में आम नागरिकों को नुकसान पहुंच रहा है।
म्यांमार ने एफटीसी-2000जी विमानों का ऑर्डर 2020 में दिया था। कोविड महामारी और लॉकडाउन के चलते डिलीवरी में देरी हुई। नवंबर 2022 में म्यांमार की सेना को पहले बैच में छह लड़ाकू विमानों की डिलीवरी मिली थी। अगस्त 2023 में दूसरे बैच के विमानों की डिलीवरी के साथ ही पायलटों की ट्रेनिंग भी शुरू हो गई है।
एफटीसी-2000जी एक हल्का मल्टीरोल ट्रेनर/लड़ाकू विमान है, जिसे गुइझोऊ एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन द्वारा डिजाइन किया गया है। यह विमान चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फ़ोर्स और सूडानी सेना के साथ भी सेवा में है। दो सीटों वाला यह जेट फाइटर हमले, प्रशिक्षण, हवाई निगरानी, गश्ती मिशन, टोही और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए प्रयोग किया जाता है। यह तीन टन तक के हथियारों को ले जाने की क्षमता रखता है और मुख्य रूप से ज़मीनी लक्ष्यों पर हवाई हमले करने के लिए डिजाइन किया गया है।
विश्लेषकों के मुताबिक एफटीसी-2000जी विमान कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता रखता है, लेकिन इसकी अधिकतम ऊंचाई 16 मीटर मीटर है, जो इसे पोर्टेबल सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए असुरक्षित बनाता है। चीन का यह कदम म्यांमार की राजनीतिक स्थिरता और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चिंताओं को जन्म दे रहा है, जबकि विद्रोहियों के खिलाफ म्यांमार की सेना की कार्रवाई जारी है।