बनारस ।  हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शीतला अष्टमी या बसौड़ा पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला अष्टमी पर माता शीतला की उपासना करने से और व्रत का पालन करने से व्यक्ति को सभी रोगों से मुक्ति मिलती है। शीतला अष्‍टमी का त्‍योहार उत्तर भारत के कुछ राज्‍यों जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्‍ली, हरियाणा और राजस्‍थान में काफी श्रद्धा और आस्‍था के साथ मनाया जाता है। माताएं इस दिन अपनी संतान की दीर्घायु के लिए भी व्रत करती हैं और शीतला माता की पूजा करके प्रार्थना करती हैं की माता उनके बच्‍चों को हर बीमारी से दूर रखें और उनकी रक्षा करें। मान्‍यताओं के अनुसार शीतला माता चेचक की देवी कहलाती हैं और मां की कृपा बच्‍चों पर बनी रहे इसलिए शीतला अष्‍टमी पर पूजा और उपाय किए जाते हैं। स्कंद पुराण में बताया गया है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि को रोगमुक्त और स्वच्छ रखने का कार्य शीतला माता को सौंप दिया था। इसलिए इन्हें स्वच्छता की देवी के रूप में भी पूजा जाता है। इस साल शीतला अष्टमी का व्रत कल को रखा जाएगा। इसका आरंभ सप्‍तमी से ही हो जाता है। सप्‍तमी को ही घरों में भोजन बनाकर रख दिया जाता है। फिर शीतला अष्‍टमी पर मां शीतला को बासी खाने का भोग लगाकर स्‍वयं भी प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण किया जाता है। शास्त्रों में इस दिन किए जाने वाले खास उपायों का खास वर्णन है।
शीतला सप्‍तमी की शाम को गुड़ के 21 गुलगुले बनाएं। इनके 3 हिस्‍से कर लें। पहले हिस्‍से को रख दें और इससे बासी भोजन के रूप में अष्‍टमी के दिन माता शीतला को भोग लगाएं। एक हिस्‍से को अष्‍टमी के दिन गाय को खिला दें। बाकी बचे एक हिस्‍से को रात में एक लोटा जल के साथ बच्‍चों के सिरहाने रख दें। सुबह उठकर उस लोटे के जल से बच्‍चों को छींटें दें और गुलगुले बच्‍चों के ऊपर से 7 बार उबारकर काले कुत्ते को खिला दें। ऐसा करने से आपके बच्‍चे संक्रामक बीमारियों से दूर रहते हैं और माता शीतला उनकी रक्षा करती हैं। दूसरा उपाय नकारात्मक विचारों से मुक्ति के लिए है। अगर आपके दिमाग में अक्सर नकारात्मक विचार घूमते रहते हैं। तो आपको शीतला अष्टमी के दिन मातारानी की पूजा के बाद नीम के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। नीम के पेड़ में जल देने के बाद 7 बार परिक्रमा करें। इससे अंदर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। तीसरा उपाय बीमारियों से बचाव के लिए है इसके लिए शीतला अष्टमी के दिन पूजा के दौरान मां शीतला को हल्दी भी अर्पित करें। पूजा के बाद ये हल्दी परिवार के सदस्यों को लगाएं। खासकर बच्चों को जरूर लगाएं। ऐसा करने से परिवार के सदस्यों और बच्चों की मौसमी रोगों के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों से भी रक्षा होती है। माता शीतला का वाहन गधा है। इस दिन गधे की सेवा जरूर करनी चाहिये। इसके अलावा माता का प्रसाद किसी कुम्हारनी को दें। ऐसा करने से आपकी पूजा सफल हो जाती है। इससे माता प्रसन्न होती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है व परिवार के संकट दूर होते हैं।