रिजर्व बैंक (RBI) ने करीब डेढ़ साल पहले 2000 रुपये के नोटों (2000 Rupee Note) को चलन से बाहर किया था। केंद्रीय बैंक ने लोगों को बाकायदा मोहलत भी दी कि वे इन नोटों को वापस बैंक को लौटा सकें। अब तक 2000 के करीब 98 फीसदी नोट आरबीआई के पास आ भी चुके हैं। लेकिन, अभी भी हजारों करोड़ के गुलाबी नोटों को लोग दबाए बैठे हैं।

लोगों के पास 6,970 करोड़ रुपये मूल्य के नोट

आरबीआई ने 2000 के नोट पर बड़ा अपडेट दिया है। उसका कहना है कि सर्कुलेशन से बाहर होने के बाद से ज्यादातर 2000 के नोट वापस आ गए हैं। लेकिन, अभी भी लोगों के पास 6,970 करोड़ रुपये मूल्य के नोट मौजूद हैं। यह आंकड़ा 31 अक्टूबर 2024 तक का है। आरबीआई का लेटेस्ट अपडेट बताता है कि 98.04 फीसदी 2000 रुपये के नोटों की वापसी हो चुकी है।

हालांकि, अब समस्या यह है कि केंद्रीय बैंक के पास नोट वापस आने की रफ्तार काफी सुस्त हो गई है। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि जिनके पास ये नोट हैं, वे इसे लौटाना नहीं चाहते। पिछले एक महीने में महज 147 करोड़ रुपये मूल्य के गुलाबी नोट ही वापस आ सके हैं।

सुस्त पड़ रही नोट वापसी की रफ्तार

आरबीआई ने 1 जुलाई 2024 को जो डेटा शेयर किया था, उसके मुताबिक 7581 करोड़ रुपये के 2000 रुपये के नोट बाजार में बचे हुए थे। 1 अक्टूबर को ये 7,117 करोड़ रुपये और अब 31 अक्टूबर को 6,970 करोड़ रुपये है। इसका मतलब कि जुलाई से अब तक महज 611 करोड़ रुपये मूल्य के नोटों की वापसी हो सकी है।

पिछले साल मई 2023 में 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर किया गया था। उस वक्त बाजार में 3.56 लाख करोड़ रुपये मूल्य के करेंसी नोट मौजूद थे। 29 दिसंबर 2023 तक ये आंकड़ा घटकर 9,330 करोड़ रुपये रह गया, क्योंकि लोगों ने युद्ध स्तर पर 2000 के नोट जमा कराए। लेकिन, उसके बाद वापसी की रफ्तार लगातार धीमी होती गई।

2000 के नोट को चलन से बाहर क्यों किया गया था?

RBI ने क्लीन नोट पॉलिसी (Clean Note Policy) के तहत 19 मई 2023 को 2000 रुपये के नोट को वापस लेने की घोषणा की थी। केंद्रीय बैंक ने 2000 के नोट को बदलवाने के लिए 
पहले 30 सितंबर 2023 तक की मोहलत दी थी। हालांकि, इसे समय-समय पर बढ़ाया भी गया। 2000 के नोट नवंबर 2016 में पेश किए गए थे। उस वक्त सरकार ने चलन में मौजूद 500 और 1000 रुपये के नोटों बंद कर दिया था।

आरबीआई ने कहा कि 2018-19 में 2000 रुपये के बैंक नोटों की छपाई बंद करने का एलान किया। उसका कहना था कि अन्य मूल्य के नोटों की पर्याप्त उपलब्धता होने के बाद अब 2000 के नोटों की जरूरत नहीं रह गई।