कोरबा: देश के प्रदूषित शहरों में शुमार कोरबा जिले में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। चिमनी से निकलने वाला धुआं और गर्मी के दिनों में आंधी से कोरबा में राखड़ वर्षा ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। आंधी-तूफान से पॉवर प्लांटों के राखड़ बांध से राखड़ उड़ता है। पुरे शहर में राख वर्षा से लोग परेशान हो रहे है. राखड़ से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। प्रदूषण का स्तर बढ़ने से स्किन और दमा की बीमारी का भी खतरा बढ़ गया है।

कोरबा शहर में लगे पॉवर प्लांट और उद्योगों की चिमनी से निकलने वाला धुआं और राखड़ लोगों की परेशानी का सबब बन गया है। एक तरफ एस ई सी एल की खदानों से कोयले का परिवहन और दूसरी तरफ पॉवर प्लांटों की चिमनियों से निकलता जहर लोगों की सांसो में घुल रहा है। साथ ही गर्मी के दिनों में आंधी-तूफान से राखड़ बांध की राखड़ से पूरा शहर राख वर्षा से पट रहा है, जिससे पॉवर प्लांट से सटे मोहल्ले और शहर में धुंध से सास लेने और आने-जाने में दिक्कत होती है। सांस की बीमारी और चार्म रोग के लोग शिकार हो रहे है। हाल ही में राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने राखड़ को लेकर भिलाई खुर्द का निरिक्षण किया था और अधिकारियों को राखड़ की समस्या से निजात दिलाने निर्देश दिए थे।

कोल डस्ट सबसे बड़ी समस्या

कोरबा जिले में 12 से अधिक कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से 8400  मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है। 14 से अधिक कोल इंडिया से संबद्ध साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड की खदानों से सालाना 1250 लाख टन कोयला उत्पादन हो रहा है। शहर में प्रदूषण की प्रमुख वजहों की बात करें तो खदानों में होने वाले उत्खनन व परिवहन की वजह से कोल डस्ट यहां की सबसे बड़ी समस्या है। वहीं बिजली संयंत्रों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं और राखड़ वर्षा की वजह से शहर में तेजी से वायु प्रदूषण हो रहा है। उचित प्रबंधन के अभाव में बिजली संयंत्रों के राखड़ बांध से भी राख वातावरण में घुल रहा है। ज्यादातर बिजली संयंत्र प्रबंधन भर चुके बांध से राख परिवहन कर लो-लाइन एरिया के नाम पर रिहाइशी इलाकों में डंप कर रहे है, जिसके चलते पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंच रहा है।

दिल्ली से भी ज्यादा प्रदूषित कोरबा शहर

प्रदेश में इन दिनों तेजी से खराब सड़कों की मरम्मत कर सड़क निर्माण कार्यों में भी राख का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन राख सूख कर न उड़े इसकी व्यवस्था नहीं की गई है। इसका परिणाम यह है कि प्रदूषण का स्तर दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। एनवायरनिक्स ट्रस्ट की नियमित निगरानी रिपोर्ट पर नजर डालें तो कई बार ऐसा हुआ है, जब दिल्ली से भी अधिक प्रदूषण की मार कोरबा के रहने वालों को झेलनी पड़ी है। जिम्मेदार पर्यावरण संरक्षण मंडल प्रदूषण फैलाने के मामले में पॉवर प्लाट प्रबंधन को महज नोटिस जारी जरूर करता है, लेकिन कोई ठोस कार्यवाई नहीं की जा रही है। इस मामले में भी जिम्मेदार अधिकारी कैमरे में कुछ भी कहने से बच रहे है।

अस्थमा, चर्म रोग और टीबी बीके मारों की बढ़ी संख्या

कोरबा में प्रदूषण के असर से लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। अस्थमा, चर्म रोग और टीबी के बीमारों की संख्या में पिछले कुछ सालों में इजाफा हुआ है। डॉक्टर भी प्रदूषण से बचने और अपनी दिनचर्या पर नियमित व्यायाम और जंक फ़ूड से दूरी बनाने की सलाह दे रहे है। कोरबा जिले में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। ऐसे में प्रदूषण से निजात पाने के लिए लोगों को भी जागरूक करने की जरुरत है। इस ओर शासन प्रशासन को ध्यान देना चाहिए ताकि लोगों को शुद्ध हवा मिल सके।