महाभारत में एक सुंदरी थी, जो उम्र की सीमा से बंधी नहीं थी. वह सदाबहार जवां, हसीं और बला की खूबसूरत थी. बड़े बड़े ऋषि उसे देखकर डोल जाते थे. उसका दिल जबरदस्त तरीके से अर्जुन पर आया. यही सुंदरी महान धनुर्धर अर्जुन के बाबा के महल में भी उन्हें रिझाने जा पहुंची थी. मजे की बात ये भी है कि इसी सुंदरी ने पांडवों – कौरवों के वंश में एक राजा से शादी भी की थी. एक बेटा भी पैदा किया था.

आप सोच रहे होंगे कि ये सुंदरी कौन थी, जो पीढ़ियां गुजरने के बाद भी ना केवल हसीं और जवां बनी रही बल्कि जिसकी कातिल अदाएं हर दौर में बिजलियां गिराती थीं. जब वह नृत्य करती थी तो लोग मुग्ध होकर देखते रह जाते थे. बड़े बड़े राजा और देवता उसके प्रेम में पागल थे लेकिन उसने सबके प्रेम निवेदन को खारिज कर दिया.

स्वर्ग की सभा में जब अप्सराएं नृत्य करतीं, तो उनमें सबसे अनूठी थी नह. उसके सौंदर्य की तुलना चंद्रमा की शीतलता और सूरज की तेजस्विता से की जाती थी. उसकी चाल, आंखों की मादकता, उसकी मुस्कान से देवता क्या हर कोई मोहित हो जाता था.
जिन पर मोहित हुई, उन्होंने ठुकराया

 उसने कभी नहीं सोचा कि महाभारत के जिन दो दिग्गजों पर वह मोहित हो गई है, वो उसको ठुकरा देंगे. एक बार वह गुस्से में पागल होकर अर्जुन को श्राप भी दे डाला. हालांकि फिर इस शाप को उसने हल्का किया. अब क्या आप अंदाज लगा पा रहे हैं कि वो सुंदरी कौन है. कौन थे अर्जुन के वो बाबा, जिनके प्यार में भी वह पागल हो गई थी.